ए ज़िंदगी
ए ज़िंदगी तु चाहता क्या है? ख़ुशीयो से तुझे परेशानी क्यु है? रास्ते तेरे दुख मे भीगे क्यु है? ए ज़िंदगी तु चाहता क्या है? मौत से गहरी दोस्ती क्यु है? खुद से नफ़रत इतनी क्यु है? हर घडी इंतिज़ार आख़िर है किसका ? झूटी उम्मीदकी दिप जलाए बैठा क्यु है? ए ज़िंदगी तु चाहता क्या है? कौन है वो जो तुझको चाहे कौन है वो जो तुझको सँवारे क्यु ख़ुदसे परेशाँ क्यु ख़ुदसे हैराँ ख़ुदमे क्या कमी, जो तु दुसरेमे ढूंढता है ए जिन्दगी तु चाहता क्या है? अपने आपको सँवारनेमे दिक्कत क्या है? अपने आपको प्रेम करने मे हर्ज क्या है? ख़ुदसे भी तो नाता जोड़ो ख़ुदको भी तो मौका दो के तभी देख पावोगे, के जीवन आख़िर है क्या तब कहिँ तुम्हे मालूम पडेगा की जिन्दगी चहती तो कुछ और थि पर तुम अपने अलग अंदाज़से जिना सिख गए ||